भारत में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू होना है और इसके लिए मशीनरी सक्रिय हो गई है। दिल्ली समेत ज्यादातर राज्यों में गुरुवार तक वैक्सीन पहुंचेगी। ज्यादातर राज्यों में पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की वैक्सीन (कोवीशील्ड) उपलब्ध होगी। पुणे से 80% वैक्सीन ट्रांसपोर्ट फ्लाइट्स और विशेष विमानों से होगा।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार कोवीशील्ड और कोवैक्सिन, दोनों के ही डोज राज्यों को उपलब्ध कराएगी। फिलहाल छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे कांग्रेसशासित राज्यों ने साफ कहा है कि वे कोवैक्सिन का डोज नहीं लगाएंगे। फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे सामने आने के बाद ही इस पर यह राज्य फैसला लेंगे। ड्रग रेगुलेटर ने फेज-1 और फेज-2 के नतीजों के आधार पर कोवैक्सिन को इमरजेंसी मंजूरी दी है। इसके फेज-3 ट्रायल्स पूरे देश में 25 साइट्स पर चल रहे हैं।

भारत की वैक्सीनेशन ड्राइव दुनिया में सबसे बड़ी है। यह 16 जनवरी को शुरू होगी। पहले फेज में 3 करोड़ हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगेगी। इनमें 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स और 2 करोड़ अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल हैं। इसके बाद 27 करोड़ हाई-रिस्क वाले लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इनमें सीनियर सिटीजन और वह लोग शामिल हैं जिन्हें हाई-रिस्क कैटेगरी में रखा गया है। इन्हें अगस्त 2021 तक वैक्सीनेट करने की योजना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ वैक्सीनेशन ड्राइव पर चर्चा करने वाले हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 3 जनवरी को सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड (जिसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने तैयार किया है) और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन (जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया गया है) को इमरजेंसी अप्रूवल दिया था। इसके बाद यह मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ पहली वर्चुअल मीटिंग होगी।

हर शीशी पर लिखा होगा ब्रांड का नाम

  • वैक्सीनेशन को लेकर जो पॉलिसी बनाई है, उसमें हर शीशी पर वैक्सीन का नाम लिखा होगा। जिसे वैक्सीन लगेगी, उसे पता होगा कि किस वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया है। हर वायल (शीशी) में 10 डोज होंगे। इसे खोलने के बाद चार घंटे के भीतर इस्तेमाल करना होगा। दरअसल, इसमें वैक्सीन वायल मॉनिटर्स (VVM) नहीं हैं। न ही प्रत्येक शीशी सरकार ने ओपन वायल पॉलिसी भी खत्म कर दी है। इससे शीशी खोलने के बाद लंबे समय तक उसे स्टोर नहीं किया जा सकेगा।
  • केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को जो गाइडलाइन भेजी है, उसमें कहा है कि हर साइट पर वैक्सीनेशन ऑफिसर को वायल खोलने की तारीख और वक्त रिकॉर्ड करना होगा। सेशन के खत्म होने पर या वायल खोलने के चार घंटे बाद उसे नष्ट करना होगा। गाइडलाइन यह भी कहती है कि हर साइट पर एक सुपरवाइजर यह सुनिश्चित करेगा कि वैक्सीन कैरियर्स का टेम्परेचर सही तरीके से मेंटेन है या नहीं।

ओपन वायल पॉलिसी न होने से वेस्टेज बढ़ने का डर

  • भारत में चलने वाले यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) में कुछ वैक्सीन का इस्तेमाल वायल्स के खुलने के चार हफ्ते तक किया जाता है। इसके लिए केंद्र सरकार की पॉलिसी भी स्पष्ट है। VVMs के जरिए प्रमुख इंडिकेटर्स पर नजर रखी होती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोवैक्सिन जैसी इनएक्टिवेटेड वैक्सीन को कई दिनों तक इस्तेमाल करने लायक बनाया जा सकता है। पर कोवीशील्ड जैसी लाइव वैक्सीन के साथ ऐसा नहीं हो सकता। इस वजह से ओपन वायल पॉलिसी नहीं रखी गई है।
  • इससे यह भी डर है कि वेस्टेज बढ़ेगा। चार घंटे में वैक्सीन नहीं लगाई तो उसे नष्ट करना पड़ेगा। इस वजह से वैक्सीनेशन साइट्स पर अधिकारियों को पता होगा कि कितने लोगों को वैक्सीन लगानी है और कब लगानी है। उसी अनुसार यह प्लान काम करेगा। मंत्रालय की गाइडलाइन कहती है कि अलग-अलग तरह की वैक्सीन के लिए सही समय पर निर्देश जारी होंगे।

पुणे से वैक्सीन का ट्रांसपोर्ट आज या कल

  • पुणे से कोवीशील्ड की वैक्सीन के डोज का ट्रांसपोर्ट मंगलवार तक शुरू हो जाएगा। मुंबई की कूल-एक्स कोल्ड चेन लिमिटेड ने वैक्सीन ट्रांसपोर्ट करने के लिए डील की है। कंपनी के को-फाउंडर राहुल अग्रवाल के मुताबिक वैक्सीन पहले फ्लाइट्स के जरिए ट्रांसपोर्ट होगी। सीरम को अब तक केंद्र सरकार से वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट को लेकर मंजूरी नहीं मिली है। उनके पास 300 ट्रक्स हैं, जिनका इस्तेमाल वैक्सीन ट्रांसपोर्टेशन में होगा।

कोविन पर हुए 79 लाख रजिस्ट्रेशन, ऐप का इंतजार

  • कोरोना वैक्सीनेशन की तारीख की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर कहा था कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 16 जनवरी महत्वपूर्ण दिन साबित होगा। इस दिन से वैक्सीनेशन शुरू होगा। हमारे साहसी डॉक्टरों, हेल्थकेयर वर्कर्स और सफाई कर्मचारियों समेत सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्रायोरिटी दी जाएगी।
  • सरकार कोविन (Co-WIN) कोविड वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) का इस्तेमाल इस वैक्सीनेशन ड्राइव में करने वाली है। इसका इस्तेमाल वैक्सीन लगवाने वालों को ट्रैक करने में किया जाएगा। इस समय 79 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। इस पर वैक्सीन के स्टॉक और स्टोरेज टेम्परेचर की रियल-टाइम जानकारी भी मिलेगी। ऐप अब तक लॉन्च नहीं हुआ है।
  • केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन को लेकर अब तक तीन ड्राई रन किए हैं। इनमें से दो तो पूरे देश में हुए हैं। इससे 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 4,895 साइट्स पर वैक्सीन डिलीवरी सिस्टम को परखा गया। तीसरा ड्राई रन पिछले शुक्रवार को हुआ था।


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